“बिहार चुनाव हार के बाद कांग्रेस में मचा घमासान, गठबंधन को लेकर उठे कड़े सवाल”

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने गुरुवार को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक बुलाई। इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल ने बिहार कांग्रेस के सांसदों, विधायकों और चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों से अलग-अलग फीडबैक लिया। समीक्षा प्रक्रिया में बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को शामिल नहीं किया गया।
सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने विधायकों से व्यक्तिगत मुलाकात की, जबकि हारने वाले उम्मीदवारों से 10-10 के समूह में विचार-विमर्श किया गया। बैठक का माहौल तनावपूर्ण रहा और कई नेताओं ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई।
हार के कारणों पर नेताओं ने खोली पोल
अररिया के विधायक अबिदुर रहमान ने टिकट वितरण में गंभीर अनियमितताओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हार के लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। उन्होंने अपनी रिपोर्ट राहुल गांधी को सौंपते हुए दावा किया कि टिकट बांटने में बड़े स्तर पर हेरफेर हुई।
पूर्व विधायक अमित कुमार टुंडा ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को अब RJD से अलग होकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने पर विचार करना चाहिए। वहीं, हारे हुए उम्मीदवार इरफान आलम ने सीमांचल क्षेत्र में AIMIM द्वारा बनाए गए नरेटिव को कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बताया।
सबसे तीखे आरोप मुसव्विर आलम की ओर से आए। उन्होंने कहा कि महागठबंधन जल्दबाजी में किया गया, जिससे गलत संदेश गया। उनका दावा था कि तेजस्वी यादव की रणनीतिक गलतियों ने गठबंधन को नुकसान पहुँचाया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस मुस्लिम चेहरे को डिप्टी सीएम उम्मीदवार बनाती, तो चुनावी परिणाम अलग हो सकते थे। उनके अनुसार, AIMIM प्रमुख ओवैसी की बयानबाजी ने मुस्लिम वोटों को प्रभावित किया।
कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू की प्रतिक्रिया
बैठक के बाद कृष्णा अल्लावरू ने बताया कि समीक्षा में दो मुख्य मुद्दे सामने आए—पहला, चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी और वोट खरीद का आरोप; दूसरा, महागठबंधन और कांग्रेस की आंतरिक रणनीतिक कमियां। उन्होंने कहा कि इन दोनों पहलुओं पर पार्टी आगे ठोस कार्रवाई करेगी।
