विजय दिवस पर सुभासपा के पास अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने का सुनहरा मौका

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) उत्तर प्रदेश के बहराइच में 10 जून को चक्रवर्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव राजभर के सम्मान में ‘विजय दिवस’ का आयोजन करने जा रही है। यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक गौरव से जुड़ने का प्रयास है बल्कि सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के लिए एक रणनीतिक कदम भी है, जो उनकी राजनीतिक स्थिति और पार्टी की सामाजिक-राजनीतिक प्रासंगिकता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

*विजय दिवस एक बड़ी जीत*

बता दें कि 11वीं शताब्दी में बहराइच की लड़ाई में तुर्क आक्रमणकारी सैयद सालार मसूद गाजी की सेना को परास्त कर महाराज सुहेलदेव ने भारतीय संस्कृति और पहचान की रक्षा की थी। ओम प्रकाश राजभर इसे विजय दिवस के रूप में मनाकर एक राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति और शौर्य मेला का आयोजन इसकी भव्यता को और बढ़ाएगा। यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पल राजभर समुदाय और अन्य पिछड़े वर्गों के बीच सुभासपा की स्थिति को और मजबूत करेगा क्योंकि ओमप्रकाश राजभर लंबे समय से महाराज सुहेलदेव की संघर्ष को पहचान दिलाने का वादा अपने वोटर्स को करते आए हैं।

 

*राष्ट्र नायक बनेंगे जीत का आधार*

सुभासपा की पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय में गहरी पकड़ है, जो राज्य की आबादी का लगभग 4% है। विजय दिवस के माध्यम से राजभर समुदाय के बीच महाराजा सुहेलदेव को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में स्थापित करके ओम प्रकाश राजभर इस समुदाय में अपनी स्थिति को और मजबूत बनाएंगे। यह आयोजन पिछड़ों और राजभर समुदाय के बीच गर्व और एकता की भावना को बढ़ावा देगा। विजय दिवस पर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि हम लंबे समय से न सिर्फ राजभर समाज बल्कि पिछड़ों और सर्व समाज के इंसाफ के लिए आवाज उठाते आए हैं। ऐसे में महाराजा सुहेलदेव की याद में मनाया जाने वाला विजय दिवस सिर्फ एक समाज नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की जीत है। उन्होंने कहा कि महाराजा सुहेलदेव को केवल एक जातीय नायक के रूप में नहीं बल्कि एक राष्ट्र प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए।

 

*एनडीए का साथ बढ़ाएगा पहुंच*

सुभासपा का एनडीए के साथ गठबंधन इसे और मजबूती दे रहा है। सुभासपा वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए का हिस्सा है। योगी आदित्यनाथ की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व में अलग-अलग मंचों से महाराज सुहेलदेव और उनकी शौर्य गाथा का गुणगान करते आए हैं। ऐसे में सुहेलदेव की मूर्ति और उनसे जुड़े स्मारकों के निर्माण जैसे कदम राजभर द्वारा जनता के लिए उठाए जा रहे मुद्दों पर मोहर लगता है।

 

*विपक्ष के लिए राजभर को रोकना चुनौती*

अलग-अलग मंचों से राजभर यह कहते आए हैं कि समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने महाराजा सुहेलदेव की विरासत को इतिहास से मिटाने का काम करते आए हैं। विजय दिवस का आयोजन सुभासपा की वैचारिक जीत के रूप के देखी जा रही है। यह रणनीति सपा और कांग्रेस के वोट बैंक विशेष रूप से पिछड़ों और राजभर समुदाय में सुभासपा की स्थिति को और मजबूत करेगी।

 

*नए वोटरों से जुड़ाव*

ओमप्रकाश राजभर, विजय दिवस को नई पीढ़ी से जोड़कर देखते हैं। वह अलग-अलग मंचों से कहते रहे हैं कि विजय दिवस के आयोजन से नई पीढ़ी को महाराज सुहेलदेव राजभर के शौर्य और राष्ट्र समर्पण के बारे में पता चलेगा। यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आयोजन नई पीढ़ी को महाराजा सुहेलदेव और उनकी विचारधारा को मनाने वालों से जोड़ने में मदद करेगा। यह आयोजन सुभासपा को सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाए रखेगा और युवा मतदाताओं को आकर्षित करने में सहायक होगा।

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